पंडित मदन मोहन मालवीय के जीवन के रोचक पहलू

By iastoppers.com

पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर, 1861 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ, जो भारतीय शिक्षा और स्वतंत्रता संग्राम में एक निर्णायक योगदान देने वाले विद्वान बने।

मालवीय जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष करते हुए 1916 में एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की नींव रखी।

'महामना' के उपनाम से सम्मानित, उन्होंने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि पत्रकारिता में भी अपनी छाप छोड़ी, हिंदुस्तान टाइम्स सहित कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के संस्थापक बने।

चार बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे मालवीय ने सविनय अवज्ञा और असहयोग आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारतीय स्वतंत्रता की दिशा में अहम मोड़ थे।

उन्होंने न्यायपालिका में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी, चौरी चौरा दंगों में आरोपित 153 लोगों का मुकदमा लड़कर उन्हें न्याय दिलाया।

भारतीय स्काउटिंग आंदोलन के प्रणेता के रूप में, मालवीय ने युवा भारतीयों में सेवा और नेतृत्व की भावना को बढ़ावा दिया।

उनके द्वारा प्रचारित 'सत्यमेव जयते' नारा आज भी भारत की आत्मा को प्रेरित करता है और देश का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है।

2014 में मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो उनके असाधारण योगदान को मान्यता देने का प्रतीक है।